हर साल भारत में लगभग 10 मिलियन लोग बवासीर के लक्षणों का अनुभव करते हैं (1)। यह भारत की कुल आबादी का लगभग 0.71% है। इस 10 मिलियन में, 50-85 प्रतिशत मरीजों की उम्र 45-65 साल के बीच रहती है। आंकड़े साफ़ तौर पर बताते हैं कि उम्रदराज लोगों में पाइल्स ज्यादा विकसित होता है।
सच तो यह है कि पाइल्स की समस्या ग्रामीण इलाकों की बजाय शहरों में ज्यादा दिखाई देती है। अब यह रोग युवाओं में भी आम है क्योंकि वे अधिक मसालेदार और कम फाइबर वाला भोजन खाते हैं।
बवासीर को पाइल्स (Piles) या हेमोराइड (Hemorrhoids) भी कहा जाता है। इस लेख में हमने पाइल्स के कारण, लक्षण और बचाव के बारे में विस्तार से बताया है।
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बवासीर क्या है – Piles Meaning in Hindi
बवासीर गुदा या मलाशय की नसों में सूजन है। गुदा और मलाशय हमारे शरीर के मुख्य अंग हैं जो मल त्याग में एक अहम् भूमिका निभाते हैं। कब्ज या किसी अन्य कारण से गुदा और मलाशय के आस-पास की नसों में सूजन आ सकता है, जिसे बवासीर (piles) कहते हैं।
अधिकांश बवासीर दर्द युक्त होती है। मतलब मल का त्याग करते वक्त या उठते-बैठते वक्त रोगी को असहनीय दर्द होता है। हालांकि कुछ मामलों में बवासीर के शुरुआती चरणों में कोई दर्द नहीं होता है, लेकिन ऊपरी ग्रेड में दर्द हो सकता है।
बवासीर के प्रकार
बवासीर दो प्रकार की होती है:
आंतरिक बवासीर
आंतरिक बवासीर मलाशय (rectum) को प्रभावित करती है। इसमें मलाशय के भीतर की नसों में सूजन आ जाता है। मलाशय एक अंग है जो बड़ी आंत (colon) को गुदा (anus) से जोड़ता है।
आंतरिक पाइल्स आमतौर पर दर्दनाक नहीं होती है लेकिन गुदा से खून बहने का कारण बन सकती हैं। आंतरिक बवासीर को देखना या महसूस करना मुश्किल होता है।
बाहरी बवासीर
गुदा की त्वचा के नीचे की नसों की सूजन को बाहरी बवासीर कहा जाता है। इसमें मलद्वार के पास मस्से निकल आते हैं जिससे मलद्वार काफी संकरा हो जाता है। इन्हें आसानी से देखा जा सकता है और महसूस भी किया जा सकता है।
बाहरी पाइल्स में खून बहने की संभावना बहुत कम होती है, लेकिन खून के थक्के (blod clots) बन सकते हैं।
जब आंतरिक या बाहरी बवासीर गुदा के बाहर निकलने लगते हैं तो इसे आगे बढ़ी हुई बवासीर (Prolapsed hemorrhoids) कहते हैं।
बवासीर के लक्षण – Bawasir Ke Lakshan in Hindi
बवासीर के प्रकार के आधार पर बवासीर के लक्षण भिन्न हो सकते हैं। नीचे प्रत्येक प्रकार की बवासीर के लक्षण बताए गए हैं।
बाहरी बवासीर के लक्षण
बाहरी बवासीर में निम्न लक्षण नजर आते हैं:
- गुदा में जलन
- गुदा क्षेत्र में खुजली
- गुदा के आसपास सूजन
- गुदाद्वार से ब्लीडिंग (मल त्याग के दौरान)
- गुदा में एक गांठ महसूस होना
आंतरिक बवासीर के लक्षण
आंतरिक बवासीर के लक्षण हैं:
- मल त्याग के दौरान ब्लीडिंग होना। इस ब्लीडिंग के दौरान बिल्कुल दर्द नहीं होता है। आप टॉयलेट शीट या टॉयलेट पेपर पर खून के धब्बे देख देख सकते हैं।
- आंतरिक पाइल्स के मस्से मल त्याग के दौरान गुदा स बाहर आ सकते हैं। यह भी इसे पहचानने का एक लक्षण है।
बवासीर के कारण – Piles Causes in Hindi
बवासीर गुदा या मलाशय की मांसपेशियों और नसों में दबाव बनने के कारण होता है। जब किसी कारण के चलते गुदा क्षेत्र या मलाशय की नसों में दबाव पड़ने लगता है तो आसपास की नसों में खिंचाव महसूस होता है। इससे नसों में सूजन आ जाता है और वे फैलने लगती हैं।
बवासीर (bawaseer) के कारण हो सकते हैं:
- लंबे समय तक टॉयलेट शीट पर बैठना
- कई दिनों से कब्ज होना
- अधिक वजन उठाना
- लंबे समय से दस्त की समस्या होना
- मल त्याग के दौरान अत्यधिक जोर लगाना
- एक्सरसाइज या व्यायाम न करना
- मिर्च-मसालेदार भोजन करना
- फाइबर का सेवन कम करना
- लंबे समय तक एक ही जगह पर खड़े रहना या बैठे रहना
- शराब और धूम्रपान
बवासीर के जोखिम कारक – Piles Risk Factors in Hindi
कई ऐसे जोखिम कारक हैं जो गुदा या मलाशय की मांसपेशियों में दबाव डालने का काम करते हैं, जिससे बवासीर (bawasir) हो सकती है। वे कारक हैं:
- कब्ज: जो लंबे समय से कब्ज की समस्या से जूझ रहे हैं उनमें बवासीर (Bawasir) का खतरा बढ़ जाता है।
- गर्भावस्था: प्रेगनेंसी के दौरान बच्चे का आकार बढ़ने से गुदा और मालशय में दबाव भी बढ़ जाता है जिससे बवासीर हो सकती है। एक आंकड़े के अनुसार लगभग 25-35% गर्भवती महिलाओं को बवासीर होती है। (2)
- मोटापा: मोटापा भी बवासीर के प्रमुख कारणों में से है। जिन लोगों का पेट बाहर निकला होता है उनमें बवासीर की शिकायत अधिक देखी जाती है।
- उम्र बढ़ना: 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में पाइल्स का खतरा अधिक रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ गुदा और मलाशय की नसें कमजोर होने लगती हैं।
- गुदा मैथुन: गुदा सेक्स करने से बवासीर (Bawasir) का खतरा बढ़ जाता है।
- कठोर मल: कठोर मल त्याग करने से पाइल्स होने का खतरा बढ़ जाता है।
बवासीर से बचाव – Bawasir Prevention in Hindi
बवासीर से बचा जा सकता है। इसके लिए अपने मल को हमेशा नरम बनाए रखने का प्रयास करें और निम्न बचाव टिप्स को फॉलो करें:
- टट्टी के दौरान जोर न लगाएं: जब मल नहीं निकलता है तो लोग सांस को रोककर पेट में दबाव बनाते हैं और मल निकालने की कोशिश करते हैं। ऐसा करना बवासीर को जन्म दे सकता है इसलिए इससे बचें।
- फाइबर युक्त आहार खाएं: हरी सब्जियां, साबुत अनाज और फलों का सेवन अधिक करें। इनमें उचित मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो पाइल्स से बचा सकता है।
- व्यायाम करें: एनल स्फिंक्टर को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करें। इससे गुदा और मलाशय की नसों में खून का दौड़ान बेहतर होता है जिससे बवासीर (Piles) से बचने में मदद मिलती है।
- भरपूर पानी पिएं: दिन में लगभग 7 से 8 गिलास पानी पीकर बवासीर से बचा जा सकता है। पानी मल को भी मुलायम बनाता है।
- मल त्याग में देरी न करें: जब भी मल (stool) आना महसूस हो तुरंत टॉयलेट जाएं और मल त्याग करें। ऐसा करने स बवासीर नहीं होती है।
बवासीर (Bawaseer) से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है फाइबर का भरपूर सेवन करना। एक अध्ययन के अनुसार आपको दिन में रोजाना 20-30 ग्राम फाइबर का सेवन करना चाहिए (3)। यदि आपको खाद्य पदार्थों से पर्याप्त फाइबर नहीं मिलता है, तो आप फाइबर सप्लीमेंट्स आजमा सकते हैं।
यदि बवासीर से बचने के लिए आप फाइबर सप्लीमेंट्स का सेवन करते हैं तो सुनिश्चित करें कि आप दिन में भरपूर पानी पी रहे हैं। अन्यथा आपको कब्ज हो सकती है।
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