प्राचीन काल में पेट्रोलियम तेल, जैसे मिट्टी का तेल, का उपयोग कई मेडिकल समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता था।
देहाती लोग केरोसीन आयल को एक एंटीसेप्टिक सलूशन के रूप में इस्तेमाल करते थे। मिट्टी के तेल का दैनिक उपयोग निम्न समस्याओं के लिए किया जाता था:
- त्वचा का कटना या खरोच आना
- बाल के जूँ मारने के लिए
- एथलीट के पैर का इलाज
- जानवरों के खुर (hooves) फट जाने या संक्रमित हो जाने पर
- कृमि संक्रमण (worm infection का इलाज के लिए)
मिट्टी के तेल का उपयोग बवासीर में फायदेमंद रहेगा या नहीं? इसका जवाब आज हम आपको वैज्ञानिक प्रमाण के साथ देंगे।
क्या हुआ जब एक बवासीर मरीज ने मिट्टी के तेल का इस्तेमाल किया?
इरान का एक 39 वर्षीय युवक बाहरी बवासीर से पीड़ित था, जिसके मस्से गुदा के बाहर निकले हुए थे। इसका उपचार करने के लिए उसने लगातार 6 दिनों तक मिट्टी के तेल का इंजेक्शन बवासीर में लगाया।
सातवें दिन वह अंडकोष में दर्द, सूजन और यूरिनरी रिटेंशन (urinary retention) की समस्या लेकर हॉस्पिटल पहुंचा।
युवक को इरान के फतेमी अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच में पाया गया कि रोगी के पैर का तलवा सूजा और झुका हुआ है (इसे foot drop कहते हैं) और रोगी का कमर एवं श्रोणि क्षेत्र सुन्न है। ये लक्षण संकेत कर रहे थे कि रोगी की स्पाइनल नर्व संकुचित हो गई है।
इलेक्ट्रोमोग्राफी (Electromyography) जांच में पाया गया कि युवक के दोनों घुटनों की डीप पेरोनियल तंत्रिकाओं को क्षति आई है। रोगी के लक्षणों का इलाज किया गया और उसे हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।
अगले महीने युवक को दोबारा हॉस्पिटल के इमरजेंसी वार्ड में एडमिट किया गया। अब रोगी के पेरेनियल क्षेत्र के ज्यादातर ऊतक नष्ट हो गए थे और अंडकोष फूल गया था।
डॉक्टर ने लैपरोटॉमी और कोलोस्टॉमी सर्जरी करने का सुझाव दिया। चिकित्सा के दौरान रोगी के घाव को साफ़ किया गया और हानिकारक ऊतकों को हटाया गया। एंटीबायोटिक थेरेपी और स्किन ग्राफ्ट (skin graft) की प्रक्रिया भी की गई। इसके बावजूद सर्जरी के 24 घंटा बाद हार्ट अटैक (myocardial infarction) से रोगी की मृत्यु हो गई।
मिट्टी के तेल से बवासीर का इलाज
आज भी ग्रामीण या देहाती लोग, जहाँ मेडिकल जागरूकता की कमी है, बवासीर के मस्सों में मिट्टी के तेल का उपयोग कर लेते हैं।
मिट्टी का तेल एक जहरीला हानिकारक हाइड्रोकार्बन है जिसे पीने, सांस लेने या बाहरी त्वचा पर लगाने से निम्न समस्याएं हो सकती है:
- गले में सूजन
- सांस संबंधी समस्या
- आँख, कान, नाक और गला में दर्द
- कम दिखाई देना
- पेट में दर्द
- मल के साथ खून आना
- फूड पाइप (esophagus) का जलना
- उल्टी आना
- खून के साथ उल्टी आना
- लो ब्लड प्रेशर
- डिप्रेशन
- चक्कर आना
- उनींदापन
- नशे में होने का एहसास
- सतर्कता और प्रतिक्रिया में कमी
- सिर दर्द
- कमजोरी
- कोमा में चले जाना
- त्वचा में सूजन और जलन
- यूरिन रिटेंशन
- फूट ड्राप
- नेक्रोसिस (ऊतकों का मरना)
- पैरालिसिस (लकवा)
मिट्टी के तेल से बवासीर का इलाज करने की कोशिस करते हैं तो उपर्युक्त समस्याएँ हो सकती हैं जिसमें से अधिकतर जानलेवा हैं।
लगातार छः दिनों तक बवासीर में मिट्टी के तेल का इंजेक्शन लगाने की वजह से मरीज को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ा और अंततः मृत्यु हो गई। इसलिए सोचे समझे बिना किसी भी नुस्खा को आजमाना बेवकूफी होगी।
मिट्टी के तेल का उपयोग के बाद बचाव
अगर आपने बवासीर के मस्सों पर केरोसीन आयल का उपयोग कर लिया है तो आपको शीघ्र हॉस्पिटल जाना चाहिए। अस्पताल जाने में देरी आने पर निम्न बचाव टिप्स को फॉलो करें:
त्वचा पर लगाने पर (dermal exposure)
- रोगी को मिट्टी के तेल के संपर्क से दूर करें
- गंदे कपड़ो को उतारे
- प्रभावित त्वचा को साबुन से धो लें
खाने पर (Ingestion)
बहुत कम मात्रा में खाने से ज्यादा दुष्प्रभाव देखने को नहीं मिलेंगे। अधिक मात्रा में सेवन कर लिया है तो हॉस्पिटल जाएं और साथ ही पॉइजन हेल्पलाइन केंद्र को सूचना दें।
इंजेक्शन लगाने पर
अगर आपने बवासीर में केरोसिन का इंजेक्शन लगाया है, तो जल्द अस्पताल जाएं। उस मामले में विभिन्न स्वास्थ्य परीक्षण किए जा सकते हैं। डॉक्टर आपको ऐसी दवाएं देंगे जो मिट्टी के तेल के प्रभाव को कम कर सकती हैं। अगर आपको सांस लेने में तकलीफ हो रही है तो ऑक्सीजन दी जा सकती है।
निष्कर्ष
मिट्टी के तेल से बवासीर का इलाज संभव नहीं है। लंबे समय तक मिट्टी के तेल का उपयोग करने से नर्वस सिस्टम, गर्भपात, अस्थमा, एलर्जी, बांझपन, ऑटोइम्यून रोग, सोचने की क्षमता में कमी, मानसिक मंदताऔर रोग प्रतिरोधक प्रणाली में कमी आ सकती है।
कई घरेलू उपचार हैं, जो सुरक्षित हैं और बवासीर के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं। डॉक्टर की सलाह के बाद ही इन उपायों का प्रयोग करें। बवासीर का ग्रेड के अनुसार आप इसकी सर्जरी भी करा सकते हैं।
रबर बैंड लिगेशन, लेजर फोटोकोएग्यूलेशन, इंफ्रारेड कोगुलेशन, बाइपोलर डायथर्मी, स्क्लेरोथेरेपी, और क्रायोसर्जरी, ये कुछ प्रक्रियाएं हैं जो बिना सर्जरी के बवासीर का सफल इलाज करती हैं।