खांसी (Cough): कारण, प्रकार और घरेलू इलाज

बच्चे, वयस्क और बूढ़े सभी खांसी से पीड़ित होते रहते हैं। सर्दी के मौसम में खांसी की शिकायत अधिक रहती है क्योंकि ठण्ड में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। खांसी एक स्वाभाविक क्रिया (reflex action) है जो सीधा हमारी इम्युनिटी से संबंधित है। खांसी के साथ गले में खराश और दर्द भी हो सकता है।

हमें खांसी क्यों होती है?

खांसी कोई बीमारी नहीं, बल्कि यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा किए जाने वाले कार्यों में से एक है। जब धूल, बैक्टीरिया, वायरस और कीटाणु हमारे श्वसन मार्ग में प्रवेश करते हैं तो आसपास की तंत्रिकाएं मस्तिष्क को इस बारे में बताती हैं। मस्तिष्क तुरंत छाती और पेट की मांसपेशियों को फेफड़ों की हवा बाहर निकालने का आदेश देता है। नतीजतन, फेफड़ों की हवा तेजी से बाहर निकलती है, जिसे खांसी कहते हैं। 

आयुर्वेद कहता है की खांसी कफ दोष के कारण होती है। गलत भोजन और बेकार जीवनशैली के कारण वात और कफ का संतुलन बिगड़ता है और खांसी होने लगती है।

खांसी कितने प्रकार की होती है?

खांसी दो प्रकार की होती है:

  • सूखी खांसी (Dry Cough). सूखी खांसी उसे कहते हैं जिसमें बलगम या कफ का उत्पादन नहीं होता है।
  • बलगम वाली खांसी (Wet Cough). बलगम युक्त खांसी में कफ और बलगम का उत्पादन होता है। खांसते वक्त बलगम गले से बाहर निकल सकता है।

खांसी कितने दिनों तक रहती है, इसके आधार पर भी इसे 2 भाग में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • तीव्र खांसी (Acute Cough). यदि तीन सप्ताह से कम समय तक खांसी रहती है तो इसे तीव्र खांसी कहते हैं।
  • पुरानी खांसी (Chronic Cough). यदि बच्चों में 4 हफ़्तों से अधिक और वयस्कों में 8 हफ़्तों से अधिक समय तक खांसी रहती है तो इसे पुरानी खांसी कहते हैं।

खांसी के क्या कारण हैं?

ज्यादातर खांसी वायरल इन्फेक्शन के कारण होती है और खुद ठीक हो जाती है।

तीव्र खांसी के कारण

तीव्र खांसी के ज्यादातर मामलों में संक्रमण ऊपरी श्वसन पथ में होता है और गले को प्रभावित करता है। इसे URTI (upper respiratory tract infection) भी कहते हैं। इसके कारण हैं:

  • सामान्य जुकाम
  • लैरींगाइटिस (laryngitis)
  • फ़्लू
  • प्रदुषण, धूल, मिट्टी

तीव्र खांसी के कुछ मामलों में संक्रमण निचले श्वसन पथ में भी हो सकता है और फेफड़ों को संक्रमित करता है। इसे LRTI (lower respiratory tract infection) कहते हैं। इसके कारण हैं:

  • ब्रोंकाइटिस
  • निमोनिया
  • एलर्जिक राइनाइटिस (hay fever)

पुरानी खांसी के कारण

पुरानी खांसी निम्न कारणों की वजह से हो सकती है:

  • धूम्रपान
  • नाक के पिछले हिस्से से गले में बलगम का टपकना (पोस्ट नेजल ड्रिप)
  • अस्थमा
  • GERD (gastro-esophageal reflux disease)
  • कुछ विशेष दवाइयों के सेवन से

अधिकाँश बच्चों में पुरानी खांसी के प्रमुख कारण अस्थमा, GERD और पोस्ट नेजल ड्रिप जैसी बीमारी हैं। वहीँ वयस्कों में फेफड़ों का इन्फेक्शन, फेफड़ों का कैंसर और ट्यूबरक्लोसिस पुरानी खांसी का कारण बनता है।

खांसी का इलाज (khansi ka ilaj)

खांसी का इलाज घरेलू तरीकों से भी किया जा सकता है। आपके घर में ही ऐसी कई चीजें हैं जो फेफड़े और गले के इन्फेक्शन से लड़ती हैं और खांसी से छुटकारा दिलाती हैं। खांसी के घरेलू इलाज में शामिल हैं:

  • लहसुन

लहसुन खांसी में बहुत फायदेमंद होती है। रात में सोने से पहले 3-4 कली लहसुन भूनकर खाएं। दूध में लहसुन उबालकर दूध पी सकते हैं।

  • हल्दी

खांसी आने पर एक चम्मच हल्दी पाउडर खा लें। इससे खांसी तुरंत रुक जाएगी।

  • शहद

शहद तुरंत इन्फेक्शन से लड़ता है और सभी प्रकार की खांसी का इलाज करता है। एक गिलास गुनगुने पानी में 2 चम्मच शहद मिलाकर पिएँ।

  • नींबू

एक गिलास गुनगुने पानी में एक नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाएं। इस मिश्रण को पीने से खांसी तुरंत ठीक हो जाती है।

  • काली मिर्च

काली मिर्च गीली खांसी का बहुत अच्छा इलाज करती है। खांसी आने पर आप 5-6 काली मिर्च के दानों को चबा सकते हैं। इसे चाय के साथ भी उपयोग में लाया जा सकता है।

  • चना

भुने हुए चने का गुड़ के साथ सेवन करें। यह नुस्खा खांसी को रोकने में बेहद मददगार है। जो पुरानी खांसी से पीड़ित हैं उन्हें भुने हुए चना का सेवन अवश्य करना चाहिए।

  • गिलोय

रोजाना सुबह-शाम गिलोय का जूस पीने से खांसी से छुटकारा मिलता है। गिलोय नई-पुरानी सभी प्रकार की खांसी का इलाज करता है।

  • तुलसी की पत्तियां

खांसी आने पर तुलसी की पत्तियों को चबा सकते हैं या इसका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं। तुलसी की पत्ती, अदरक, सोंठ, काली मिर्च और गुड़ की उचित मात्रा को पानी में डालकर उबालें और छानकर पिएँ। यह काढ़ा अद्भुत लाभ पहुँचाएगा।

खांसी आने पर क्या परहेज करें?

जिन्हें खांसी आती है, उन लोगों को निम्न चीजों से परहेज करना चहिए:

  • दूध या दूध के किसी भी उत्पाद का सेवन न करें।
  • हो सके तो बाजरे की रोटी खाएं। चावल का सेवन न करें।
  • हमेशा गुनगुना पानी पिएँ।
  • ताजा और गर्म भोजन करें।
  • पानी का भरपूर सेवन करें। यह संक्रमण से लड़ने में मदद करेगा।
  • लहसुन, प्याज और शहद का सेवन अधिक करें।
  • सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े अवश्य पहनें।
  • बर्फ, कोल्डड्रिंक, आइसक्रीम, जंक फ़ूड, तैलीय, मिर्च युक्त पदार्थ, चीनी आदि का सेवन बिलकुल न करें।
  • यदि आपको एलर्जिक खांसी है तो एलर्जी पैदा करने वाले पदार्थ से दूरी बनाएं।
  • ठंडे तासीर वाले फल (केला, पपीता, अनार) आदि का सेवन न करें।
  • खांसते वक्त मुह में कफ या बलगम आ जाता है तो इसे बाहर निकाल दें।

निष्कर्ष

खांसी के कारण का उपचार हो जाने के बाद खांसी नहीं आती है। इसलिए तब तक आपको खान-पान में कुछ परहेज करने की आवश्यकता होगी। यदि दुर्लभ कारणों (जैसे- फेफड़ों का कैंसर, अस्थमा, गले का कैंसर इत्यादि) की वजह से खांसी आ रही है तो आपको तुरंत जांच करवानी चाहिए और चिकित्सीय देखभाल की तलाश करनी चाहिए।

खांसी से संबंधित पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

  1. क्या खांसी का घरेलू इलाज संभव है?

जी बिलकुल, खांसी को आप घर पर ही ठीक कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए खान-पान में विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। ठंडी तासीर वाले और बलगम बनाने वाले खाद्य पदार्थों से दूरी बनाना आवश्यक हो जाता है।

  1. डॉक्टर को कब दिखाएं?

1-2 हफ़्तों से लगातार खांसी आ रही है तो डॉक्टर को दिखाएं। इसके अलवा यदि खांसते वक्त उल्टी आती है या मुंह से खून निकलता है तो तुरंत इसकी जांच करवाएं। यह ट्यूबरक्लोसिस या फेफड़ों के कैंसर का लक्षण हो सकता है।

  1. क्या अस्थमा वाली खांसी का इलाज किया जा सकता है?

खानपान में सावधानी और निरंतर प्राणायाम करके आप अस्थमा की खांसी को रोक सकते हैं। हालांकि, तुरंत खांसी रोकने के लिए इन्हेलर या डॉक्टर की दवा का उपयोग करना चाहिए।

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