केला से होगा बवासीर का इलाज – Banana For Piles In Hindi

निस्संदेह कब्ज बवासीर के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और कब्‍ज दूर करने के लिए केला से बेहतर कुछ हो ही नहीं सकता है। एक पका हुआ केला बवासीर का सबसे अच्‍छा इलाज करता है।

बवासीर के लिए केला फलकारी हो सकता है क्योंकि इसमें स्टार्च जैसी सामग्री के फिसलन युक्त घटक मौजूद होते हैं जिन्हें पॉलीसेकेराइड (polysaccharides) कहा जाता है।

पाइल्स का इलाज के लिए केला के पेड़ का तना, फल, छिलका, जड़ और बीज का उपयोग किया जा सकता है। आप कच्‍चे केला का उपयोग भी कर सकते हैं। इसका उपयोग पाइल्‍स के दर्द को दूर कर सकता है।

खूनी बवासीर में केला खाना चाहिए या नहीं?

कठोर मल का त्याग करने से या तनाव देने से बवासीर की सतह को नुकसान पहुँचता है और खून निकलने लगता है। यह आंतरिक या बाहरी, दोनों बवासीर में हो सकता है। खूनी बवासीर में केला खाना फायदेमंद हो सकता है।

केला खाने से मल मुलायम बनता है और आंत की सफाई हो जाती है। इससे बवासीर पर दबाव नहीं पड़ता और खून बहने की संभावना कम हो जाती है।

एक शोध के अनुसार केले में एक विशेष प्रकार की चीनी होती है जिसे टॉपिकल संक्रमण में लगाया जा सकता है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल के गुण मौजूद होते हैं। हालांकि, खूनी बवासीर में केला को टॉपिकली लगाना चाहिए या नहीं, इसपर शोध की कमी है।

केला से बवासीर का इलाज

केला से बवासीर का उपचार करने के लिए इसका उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है, जैसे:

केला का छिलका

बाहरी बवासीर में इस नुस्खे को आजमाया जा सकता है। केला के छिलके में दो बड़ा चम्मच विच हेजल मिलाएं और ग्राइंड कर लें। इस पेस्ट को एक छोटे सूती कपड़े में लपेटें और आधा घंटा के लिए बवासीर पर रखें।

केला का छिलका और विच हेजल का मिश्रण त्वचा पर संकुचन प्रभाव डालता है जिससे मस्से सूख सकते हैं। आप इसे दिन में तीन बार आजमा सकते हैं।

केला का तना

केले के तने का रस शरीर से विषाक्त पदार्थों की छुट्टी करता है और बवासीर के संक्रमण को बढ़ने से रोक सकता है। इसके तना में अच्छे फाइबर होते हैं जो आंत के लिए अच्छा होता है और मल त्याग में मदद करता है।

केला के तने का रस बाहरी बवासीर के मस्सों पर लगाने से जल्द फर्क दिख सकता है। यह पहली ग्रेड की बवासीर को कुछ ही दिनों में सिकोड़ सकता है।

केला का फल

बवासीर होने पर डॉक्टर लैक्सेटिव सप्लीमेंट दिया करते हैं लेकिन केला एक प्राकृतिक रेचक की तरह कार्य करता है। केला के फल में जो चिपचिपा और फिसलन युक्त पदार्थ होता है उसमें कार्बोहायड्रेट होता है। 

यह न केवल आपके पाचन को बेहतर करेगा बल्कि बवासीर में अद्भुत परिणाम देगा। बवासीर का इलाज करने के लिए आप सुबह-शाम केला के फल का सेवन कर सकते हैं।

केला के बीज और जड़ की दवा

आयुर्वेद के डॉक्टर या वैद्य पाचन सन्बन्धी समस्याओं का उपचार करने के लिए केला के बीज और जड़ की गोली बनाते हैं। यह गोलियां अत्यंत असरदार और लाभदायक होती है।

बवासीर के रोगी भी इन गोलियों का सेवन कर सकते हैं। यह अप्रत्यक्ष रूप से बवासीर के मस्सों को सुखाने में मदद कर सकता है।

केला और कत्था

एक पका हुआ केला को दो भाग में काट लें। अब दोनों टुकड़ों के ऊपर कत्था पाउडर छिड़के और रात भर के लिए छोड़ दें। सुबह फ्रेश होने के बाद खाली पेट दोनों टुकडो को खा लें।

इस क्रिया को लगातार एक हफ्ता तक किया जा सकता है। अगर बवासीर अत्यधिक जटिल नहीं है तो यह इलाज कर सकता है।

निष्कर्ष

केला में मौजूद शुगर एंटीबायोटिक गुणों से भरपूर है जो बैक्टीरिया को मारकर संक्रमण का खतरा कम कर सकता है। यही कारण है कि बवासीर का उपचार के लिए इसके कुछ हिस्सों को टॉपिकली लगाया जा सकता है।

केला ऑस्मोसिस (osmosis) की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है जो त्वचा के सूजन को कम करने में सहयाक है। यह प्रक्रिया सूजी और मस्सों से प्रभावित नसों में पानी को बाहर निकालती है जिससे सूजन और दर्द कम हो जाता है।

डायबिटीज के रोगी को बवासीर में केला का सेवन नहीं करना चाहिए। हालांकि, एक विशेष डाइट फॉलो करके इसे खाया जा सकता है लेकिन केवल डॉक्टर की अनुमति के बाद।

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