कपूर (camphor) एक पाउडर है जो मूल रूप से कपूर के पेड़ की छाल और लकड़ी से बनाया जाता है। यह एक ज्वलनशील मोम है जो पारदर्शी और सुगंधित होता है।
आजकल ज्यादातर कपूर सिंथेटिक (माना द्वारा लैब में निर्मित) है। प्राकृतिक कपूर को कपूर लॉरेल (camphor laurel) पेड़ से निकाला जाता है जबकि सिंथेटिक को टरपेंटाइन आयल से बनाया जाता है। बवासीर में प्राकृतिक कपूर का उपयोग करना चाहिए।
त्वचा संबंधी समस्याओं में कपूर फायदेमंद होता है इसकी पुष्टि फूड ड्रग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा की जा चुकी है। अपने इसी गुण की वजह से यह बवासीर में भी लाभदायक साबित हो सकता है।
बवासीर में कपूर के फायदे
बवासीर रोग में कपूर निम्न लाभ प्रदान करता है:
दर्द से राहत दिलाता है
2015 में कपूर पर एक अध्ययन किया गया और पाया गया कि यह बवासीर के दर्द को कम कर सकता है। बवासीर के मस्सों पर कपूर का उपयोग करने से झुनझुनी, गर्माहट या ठंडक का अहसास होता है जिससे दर्द गायब हो जाता है।
खुजली दूर करता है
कपूर युक्त लोशन और क्रीम का उपयोग बवासीर की जलन और खुजली को दूर करने के लिए किया जा सकता है। इसमें एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं जो बवासीर के संक्रमण को ठीक करने में सक्षम हैं।
जलन कम करता है
कपूर बवासीर (hemorrhoids) के मस्सों के जलन को दूर कर सकता है।
सूजन से छुटकारा दिलाता है
बवासीर है तो गुदा क्षेत्र में तगड़ा सूजन आ जाता है। इससे मल त्याग के दौरान असहजता भी होती है। कपूर या इसके उत्पाद बवासीर की मांसपेशियों में ऐंठन, जकड़न और सूजन कम कर सकते हैं।
कपूर से बवासीर का इलाज – Kapoor Se Bawaseer Ka Ilaj
कपूर से बवासीर का इलाज निम्न तरीकों से किया जा सकता है:
केला और कपूर
देसी कपूर और केला का मिश्रण बवासीर (piles) से लड़ने में बहुत मददगार साबित होता है। इसके लिए एक चना के आकार का कपूर लें और इसे टुकड़ों में काट लें। एक पका केला लें और बीच-बीच में कपूर के टुकड़े भर दें।
अब केला को लगभग आधा घंटा के लिए खुला छोड़ दें और फिर इसे खा लें। यह उपाय सुबह के समय, खाली पेट करें। 3-4 दिन में आपको फर्क नजर आने लगेगा और बवासीर के लक्षण कम होने लगेंगे।
कपूर और नारियल का तेल
कपूर को बवासीर के मस्सों में लगाने पर पहले यह गर्मी उत्पन्न करता है। फिर अपनी ठंडी प्रकृति के कारण बवासीर की नसों को शांत करता है।
कपूर के तेल की 4-5 बूंदों को नारियल के तेल के साथ मिलाएं और बवासीर के मस्सों पर लगाएं। यह प्रभावित क्षेत्र का सूजन भी दूर कर सकता है।
कपूर और सरसों का तेल
देसी कपूर के तेल के साथ बराबर मात्रा में सरसों का तेल मिलाकर लगाने से बवासीर का दर्द और सूजन कम हो सकता है।
कपूर और अरंडी का तेल
प्राचीन काल में बवासीर का इलाज के लिए अरंडी और कपूर के तेल का मिश्रण उपयोग में लाया जाता था। अरंडी के तेल में कपूर की एक बत्ती डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
अब इस तेल को कई बार मस्सों (wart) पर लगाएं। दिन में 2-3 बार इस उपाय को कर सकते हैं।
गुनगुना पानी और कपूर
गुदा क्षेत्र को साफ़ करने के लिए कपूर का उपयोग कर सकते हैं। मल त्याग के बाद गुनगुने पानी में कपूर मिलाएं और सूती कपड़े से चूतड़ को पोछें। पर ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म न हो।
सफाई हो जाने के बाद गुदा क्षेत्र को सूखा कर लें। इस तरह से कपूर के इस्तेमाल से बवासीर के दर्द और संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
बवासीर में कपूर के साइड इफेक्ट
कपूर बवासीर के लिए फायदेमंद होता है लेकिन कुछ लोगों के लिए यह नुकसानदायक हो सकता है, जैसे:
- मिर्गी और पार्किंसंस रोगी कपूर के सेवन से बचें।
- लिवर रोग है तो कपूर का सेवन न करें।
- स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कपूर के उपयोग से बचना चाहिए।
- यदि आपको उच्च रक्तचाप है तो कपूर के सेवन से बचें या चिकित्सक की देखरेख में लें, क्योंकि इससे रक्तचाप बढ़ सकता है।
- गर्भावस्था में कपूर का सेवन न करें।
उपर्युक्त लोगों को कपूर से सेवन से बचना चाहिए। हालांकि डॉक्टर की सलाह के बाद आप इसे बवासीर के मस्सों पर टॉपिकली लगा सकते हैं।
निष्कर्ष
बवासीर का इलाज करने के लिए आपको देसी कपूर का इस्तेमाल करना चाहिए। यह सिंथेटिक कपूर की तुलना में बेहतर परिणाम प्रदान करता है।
कपूर एक संवेदनाहारी की तरह कार्य करता है जिससे बवासीर का दर्द और सूजन पल भर में गायब हो जाता है। यह मांसपेशियों के संक्रमण को भी कम कर सकता है।
कपूर बाहरी बवासीर के प्रति अधिक गुणवान साबित होता है। आंतरिक बवासीर में इसका उपयोग चिकित्सक की सलाह बिना नहीं करना चाहिए।