इंसुलिन के बारे में अच्छी तरह से जानने के लिए सबसे पहले समझना होगा कि ग्लूकोज क्या है और यह कैसे काम करता है।
ग्लूकोज एक प्रकार का चीनी है जो कार्बोहाइड्रेट से पैदा होता है। जब हम कार्बोहाइड्रेट युक्त खाद्य पदार्थ जैसे आलू, दूध, ब्रेड आदि का सेवन करते हैं तो हमारे पेट में मौजूद एसिड कार्बोहाइड्रेट को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने लगती है। इस प्रक्रिया के दौरान ग्लूकोज का निर्माण होता है। फिर यह ग्लूकोज छोटी आंत में जाता है और वहां से रक्त प्रवाह में प्रवेश करता है।
ग्लूकोज को ब्लड शुगर (Blood Sugar) भी कहा जाता है।
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इंसुलिन क्या है? (Insulin in Hindi)
इंसुलिन एक हार्मोन है जिसे अग्न्याशय (Pancreas) निर्मित करता है। जब ग्लूकोज रक्त प्रवाह (blood circulation) में प्रवेश करता है तो अग्न्याशय इंसुलिन को भी रक्त प्रवाह में छोड़ता है। इसके बाद इंसुलिन ग्लूकोज को कोशिकाओं (cells) के भीतर अवशोषित होने में मदद करता है, जिससे हमें ऊर्जा मिलती है।
इंसुलिन का काम रक्त प्रवाह में मौजूद ग्लूकोज को नियंत्रित करना है। यदि रक्त प्रवाह में जरूरत से ज्यादा ग्लूकोज मौजूद है तो इंसुलिन बचे हुए ग्लूकोज को लिवर में जमा करवा देता है। फिर यदि खून में शुगर का स्तर कम होता है तो शरीर लिवर में जमे ग्लूकोज का उपयोग करता है।

डायबिटीज में इंसुलिन की भूमिका
इंसुलिन मधुमेह में एक प्रमुख भूमिका निभाता है।
जब हमारा अग्नाशय इंसुलिन का निर्माण नहीं करता है या बहुत कम करता है, तो इस स्थिति में टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होती है।
जब अग्न्याशय सही मात्रा में इंसुलिन बनाता है लेकिन हमारा शरीर इसका ठीक से उपयोग नहीं करता है, तो हमें अधिक इंसुलिन की आवश्यकता होती है। नतीजतन, अग्न्याशय को ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखने के लिए अधिक इंसुलिन का उत्पादन करना पड़ता है। लगातार अधिक उत्पादन से अग्न्याशय के भीतर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है, और टाइप 2 डायबिटीज हो जाता है।
तो मूल रूप से, मधुमेह तब होता है जब रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और ग्लूकोज का स्तर तब बढ़ता है जब इंसुलिन की कमी होती है।
इंसुलिन के प्रकार
मधुमेह के इलाज के लिए कई प्रकार के इंसुलिन का उपयोग किया जाता है। हमने आपके लिए उनकी एक सूची तैयार की है।
- शुरुआत: इंसुलिन आपके ब्लड शुगर को कितनी जल्दी कम करता है।
- पीक टाइम: जब इंसुलिन का असर शरीर में सबसे अधिक रहता है।
- अवधि: इंसुलिन शरीर में कितने समय तक काम करता है।
प्रकार | शुरुआत | पीक टाइम | अवधि |
---|---|---|---|
रैपिड-एक्टिंग | 15 मिनट | 1 घंटा | 2 से 4 घंटा |
रैपिड-एक्टिंग (इनहेलर) | 10-15 मिनट | 30 मिनट | 3 घंटा |
रेगुलर एक्टिंग | 3 मिनट | 2 से 3 घंटा | 3 से 6 घंटा |
इंटरमीडिएट एक्टिंग | 2 से 4 घंटा | 4 से 12 घंटा | 12 से 18 घंटा |
लॉन्ग एक्टिंग | 2 घंटा | कोई पीक टाइम नहीं | 24 घंटे तक |
अल्ट्रा-लॉन्ग एक्टिंग | 6 घंटा | कोई पीक टाइम नहीं | 36 घंटा से अधिक |
प्री-मिक्स्ड | 5 मिनट से 1 घंटा | पीक टाइम फिक्स नहीं है | 10 से 16 घंटा |
तो ये थे कुछ प्रकार के इंसुलिन जो मधुमेह के रोगियों को दिए जाते हैं। इनमें से आपके लिए कौन सा बेहतर रहेगा यह डॉक्टर निम्न बातों को ध्यान में रखकर तय करते हैं:
- आप क्या खाते हैं?
- आप कितने सक्रिय हैं? मतलब आप कितना काम करते हैं।
- आपकी उम्र
- आपके शरीर को बाहरी इंसुलिन अवशोषित करने में कितना समय लगता है और यह कितने समय तक सक्रिय रहता है?
- आप अपने ब्लड शुगर स्तर को कितने अच्छे से प्रबंधित करते हैं?
आमतौर पर जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज है उन्हें एक से अधिक प्रकार के इंसुलिन लेना पड़ सकता है। यदि टाइप 2 डायबिटीज के रोगी अपने ब्लड शुगर स्तर को अच्छा नहीं रखते हैं तो उन्हें भी इंसुलिन लेना पड़ सकता है।
इंसुलिन लेने का तरीका
आपका डॉक्टर आपको बताएगा कि इंसुलिन को किस तरह लेना चाहिए और कहां लेना चाहिए. आमतौर पर शरीर के निम्न हिस्सों में इंसुलिन लगाया जा सकता है:
- जांघ
- पेट
- नितंब
- हाथ का ऊपरी हिस्सा (बख़ोटी)
आमतौर पर इंसुलिन लेने के लिए चार उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, जिनमें से मुख्य हैं:
सिरिंज
इंसुलिन लेने के लिए सिरिंज का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है। इसमें इंसुलिन को सिरिंज में भरकर शरीर में इंजेक्ट करना होता है। एक सिरिंज का उपयोग बस एक बार किया जा सकता है।

इंसुलिन पेन
इंसुलिन पेन एक सामान्य पेन की तरह होता है जिसके अंदर इंसुलिन भरी होती है। आपको बस पेन में एक नई सुई लगानी होती है और पेन के पीछे की बटन को दबाना होता है। इससे इंसुलिन आपके शरीर में चली जाती है।

इंसुलिन के दुष्प्रभाव
आमतौर पर इंसुलिन लेने के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को इंजेक्शन वाली जगह पर खुजली हो सकती है या सूजन आ सकता है। अगर इंसुलिन के प्रति एलर्जी हुई तो मतली या उल्टी भी आ सकती है।
यदि आप एक बार में बहुत अधिक इंसुलिन ले लेते हैं तो हाइपोग्लाइसीमिया की समस्या हो सकती है। इसमें शरीर के भीतर ग्लूकोज की कमी हो जाती है।
निष्कर्ष
इस लेख में हमने जाना इंसुलिन क्या होता है और डायबिटीज में इसकी क्या भूमिका है। यदि आप भी इंसुलिन का इंजेक्शन लेते हैं तो दो बातों का हमेशा ध्यान रखें। इंसुलिन को कभी फ्रिज में न रखें और उपयोग से पहले एक्सपायरी डेट अवश्य चेक करें।