यकृत (Liver) हमारे खून में मौजूद गंदगी को छानने का काम करता है। इसके अलावा यह पाचन क्रिया में भी अहम् योगदान निभाता है। क्या हो अगर इतना महत्वपूर्ण अंग संक्रमित हो जाए? कुछ बीमारियां हैं जो लीवर को संक्रमित कर सकती हैं और हेपेटाइटिस बी उनमें से एक है।
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हेपेटाइटिस बी क्या है? (Hepatitis B in Hindi)
हेपेटाइटिस बी एक वायरल इन्फेक्शन है जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है। यह हेपेटाइटिस बी वायरस (Hepatitis B Virus – HBV) के कारण होता है। यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी के प्रकार
हेपेटाइटिस बी संक्रमण को दो चरणों में बांटा गया है:
- एक्यूट हेपेटाइटिस बी
- क्रोनिक हेपेटाइटिस बी
एक्यूट हेपेटाइटिस बी (Acute hepatitis B)
जब कोई पहली बार हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित होता है तो इसे एक्यूट हेपेटाइटिस बी कहते हैं। यह अल्पकालिक होता है और छह महीने से कम समय तक रहता है। यदि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत है तो एक्यूट हेपेटाइटिस बी संक्रमण को खत्म किया जा सकता है।
वास्तव में एक्यूट हेपेटाइटिस बी से संक्रमित 90% वयस्क कुछ ही महीनों में पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं, भले ही उनके लक्षण गंभीर हों।
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी (Chronic hepatitis B)
यदि एचबीवी संक्रमण 6 महीने से अधिक समय तक बना रहता है, तो इसे क्रोनिक हेपेटाइटिस बी कहा जाता है। यह तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण से लड़ने में असमर्थ होती है।
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी जीवन भर रहता है और यह लिवर से संबंधित गंभीर रोग (जैसे लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर) पैदा कर सकता है। हालांकि इसका उचित इलाज कराने से लिवर क्षति की प्रगति धीमी हो जाती है और मरीज काफी लंबे समय तक जीवित रहता है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण (Symptoms of Hepatitis B in Hindi)
एचबीवी से संक्रमित होने के बाद अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नजर नहीं आते हैं या मामूली लक्षण नजर आते हैं। हालांकि, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है उनमें गंभीर लक्षण नजर आ सकते हैं और अस्पताल में भर्ती होना पड़ सकता है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षणों में शामिल हैं:
- भूख की कमी
- बुखार
- सिर दर्द
- भूरे रंग का पेशाब आना
- कमजोरी और थकान
- पेट दर्द
- जोड़ों में दर्द
- मतली और उल्टी
- डायरिया
- त्वचा में पीलापन, पीलिया
- आँखों में सफेदी और दर्द
डॉक्टर से कब बात करें?
यदि आपको लगता है कि आप हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) के संपर्क में आए हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए। यदि वायरस के संपर्क में आने के 24 घंटों के भीतर एचबीवी टीका मिल जाता है तो आप संक्रमण से बच सकते हैं।
इसके अलावा, यदि आपमें उपरोक्त लक्षण नजर आ रहे हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें और जांच करवाएं।
हेपेटाइटिस बी के कारण
हेपेटाइटिस बी संक्रमण का एकमात्र कारण हेपेटाइटिस बी वायरस (HBV) है। एचबीवी अत्यंत संक्रामक है और यह शरीर के कुछ तरल पदार्थों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
निम्न तरीकों से एचबीवी फैल सकता है:
- माँ से बच्चे को: एचबीवी से संक्रमित गर्भवती महिला डिलीवरी के दौरान यह वायरस अपने बच्चे को ट्रांसफर कर सकती है। हालांकि, अधिकांश मामलों में जन्म के तुरंत बाद नवजात शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगा दिया जाता है ताकि वह संक्रमण से बचा रहे।
- असुरक्षित यौन संबंध: यदि आप एचबीवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित सेक्स करते हैं तो यह संक्रमण आपको भी हो सकता है। यह वायरस वीर्य, रक्त और योनि के तरल पदार्थ (vaginal fluid) के माध्यम से फैल सकता है।
- वस्तुएं साझा करने से: संक्रमित व्यक्ति का टूथब्रश, रेजर, या मेडिकल उपकरण (जैसे ग्लूकोमीटर) साझा करने से भी यह फैल सकता है।
हेपेटाइटिस बी की जटिलताएं
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण निम्न जटिलताएं पैदा कर सकता है:
- लिवर सिरोसिस (Liver cirrhosis): यह एक दयनीय स्थिति है जिसमें लिवर खराब होने लगता है और इसकी कार्य क्षमता कम हो जाती है।
- लिवर कैंसर (Liver cancer): क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से संक्रमित व्यक्ति में लिवर कैंसर होने की संभावना दूसरों की तुलना में अधिक रहती है।
- लिवर फेलियर (Liver failure): क्रोनिक हेपेटाइटिस बी लिवर फेलियर का कारण बन सकता है। इस स्थिति में आपातकालीन लिवर ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है।
- किडनी रोग (Kidney diseases): क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के रोगियों में किडनी रोग विकसित होने की संभावना अधिक रहती है।
- वास्कुलिटिस (Vasculitis): वास्कुलिटिस होने पर रक्त वाहिकाओं में सूजन आ जाता है जिससे खून का दौड़ान रुक सकता है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के मरीजों को यह समस्या हो सकती है।
हेपेटाइटिस बी से बचाव
हेपेटाइटिस बी संक्रमण से बचने के लिए हेपेटाइटिस बी वायरस का टीका (vaccine) लगवाना आवश्यक है। इस टीकाकरण में 6 माह के भीतर 3 टीका लगाए जाते हैं। यदि एक बार आप एचबीवी वैक्सीन की तीनों डोज लगवा लेते हैं तो आप पूरी तरह सुरक्षित हो जाएँगे और यह संक्रमण आपको कभी नहीं होगा।
हेपेटाइटिस बी के रोकथाम के लिए अन्य बचाव टिप्स हैं:
- संक्रमित व्यक्ति के वीर्य, रक्त और योनि द्रव के संपर्क में न आएं।
- अनजान व्यक्ति के साथ सेक्स करते समय उच्च गुणवत्ता वाला कंडोम पहनें।
- यदि आप स्वास्थ्य कर्मी हैं, तो घावों को साफ करते समय या पट्टियों बांधते समय दस्ताने पहनें।
- किसी के साथ रेजर, नेल कटर, टूथब्रश, या अन्य नुकीले उपकरण साझा न करें।
- यदि आपकी त्वचा पर कट या घाव है तो इसे ढक कर रखें।
- यदि आप ऐसे क्षेत्र की यात्रा कर रहे हैं जहां हेपेटाइटिस बी के मरीज हैं, तो वैक्सीन लगवाने के बाद ही वहां जाएं।
जिन लोगों को हेपेटाइटिस बी संक्रमण होने का अधिक खतरा है उन्हें तुरंत टीका लगवा लेना चाहिए।
हेपेटाइटिस बी का निदान
हेपेटाइटिस बी का निदान करने के लिए निम्न परीक्षण किए जा सकते हैं:
रक्त परीक्षण (Blood test)
ब्लड टेस्ट की मदद से खून में हेपेटाइटिस बी सर्फेस एंटीजन (HBsAg) की वास्तविक मात्रा का पता लगाया जा सकता है। इससे पता चल जाता है कि व्यक्ति को हेपेटाइटिस बी संक्रमण है या नहीं। सर्फेस एंटीजन टेस्ट यह भी बता सकता है कि संक्रमण एक्यूट है या क्रोनिक।
लिवर अल्ट्रासाउंड (liver ultrasound)
लिवर अल्ट्रासाउंड टेस्ट ध्वनि तरंगों की मदद से लिवर की छवि प्रस्तुत करता है। यह लिवर की संरचना और लिवर में खून प्रवाह को दिखाता है। अल्ट्रासाउंड टेस्ट बता सकता है कि आपका लिवर कितना क्षतिग्रस्त है।
यदि किसी को क्रोनिक हेपेटाइटिस बी संक्रमण है तो उसे साल में दो बार लिवर अल्ट्रासाउंड टेस्ट जरूर करवाना चाहिए।
लिवर बायोप्सी (liver biopsy)
यह नैदानिक प्रक्रिया लिवर क्षति की जांच के लिए की जाती है। इस परीक्षण के दौरान डॉक्टर एक पतली सुई को लिवर में डालता है और लिवर ऊतक (tissue) का एक छोटा नमूना निकाल लेता है। बाद में इस ऊतक को जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजा जाता है।
लिवर बायोप्सी टेस्ट आमतौर पर तब किया जाता है जब मरीज की स्थिति गंभीर होती है।
हेपेटाइटिस बी का इलाज (Hepatitis B Treatment in Hindi)
यदि आपको संदेह है कि आप एचबीवी के संपर्क में आए हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। इस स्थिति में डॉक्टर 12 घंटे के भीतर आपको इम्युनोग्लोबुलिन (immunoglobulin) इंजेक्शन लगाएगा। यह एक एंटीबॉडी है जो आपको हेपेटाइटिस बी से अल्पकालिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन के साथ आपको हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन भी लगवानी चाहिए, यदि पहले कभी आपने वैक्सीन नहीं लगवाई है।
एक्यूट हेपेटाइटिस बी का इलाज
यदि आपको एक्यूट हेपेटाइटिस बी संक्रमण है तो किसी विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। यह अल्पकालिक है और अपने आप दूर हो सकता है।
ऐसे में आपको अपनी इम्युनिटी को मजबूत करना चाहिए ताकि आप वायरस से लड़ सकें। डॉक्टर आपको आराम करने, उचित पोषण और भरपूर तरल पदार्थ का सेवन करने के लिए कह सकता है। कुछ खास व्यायाम और योग आपकी इम्युनिटी बढ़ाने और वायरस से लड़ने में मदगार हो सकते हैं।
यदि एक्यूट हेपेटाइटिस बी में गंभीर लक्षण नजर आते हैं तो डॉक्टर आपको कुछ एंटीवायरल दवाएं दे सकता है और अस्पताल में भर्ती होने के लिए कह सकता है।
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी का इलाज
वर्तमान में क्रोनिक हेपेटाइटिस बी को ठीक करने का कोई तरीका नहीं है। क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से संक्रमित मरीजों को जीवन भर उपचार कराने की आवश्यकता होती है। उपचार लिवर की क्षति को धीमा कर देता है।
क्रोनिक हेपेटाइटिस बी के इलाज में शामिल हैं:
- एंटीवायरल दवाएं: एंटीवायरल दवाएं एचबीवी से लड़ने में मददगार हो सकती हैं। इन दवाओं के सेवन से लिवर के क्षति की प्रगति धीमी हो जाती है।
- इंटरफेरॉन अल्फा-2बी: यह एक इंजेक्शन है जो हेपेटाइटिस बी संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह इंजेक्शन उन युवा मरीजों को दिया जाता है जो लंबे समय के इलाज से बचना चाहते हैं। यह उन महिलाओं को भी दिया जा सकता है जो क्रोनिक हेपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं और भविष्य में गर्भाधारण करना चाहती हैं। इसे इंट्रोन ए (Intron A) के नाम से भी जाना जाता है।
- लिवर ट्रांसप्लांट: यदि एचबीवी संक्रमण लिवर के अधिकांश भाग को क्षतिग्रस्त कर देता है तो लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। लिवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया में सर्जन रोगी के लिवर को एक स्वस्थ लिवर से बदल देता है। लिवर ट्रांसप्लांट के बाद रोगी को रिकवर होने में 6 महीने या इससे अधिक समय लग सकता है।
यदि लिवर क्षतिग्रस्त हो चुका है और समय रहते लिवर ट्रांसप्लांट नहीं किया गया तो रोगी की जान जा सकती है।
निष्कर्ष
हेपेटाइटिस बी एक बेहद संक्रमाक बीमारी है जिसका कोई सफल इलाज मौजूद नहीं है। यह संक्रमण सीधा हमारे लिवर को प्रभावित करता है और इसे क्षतिग्रस्त कर देता है। टीका लगवाना इससे बचने का एकमात्र तरीका है। यदि आप एचबीवी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो तुरंत वैक्सीन लगवाएं और अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास करें।
हर कोई जिसे अभी तक हेपेटाइटिस बी का टीका नहीं लगा है, उसे यह टीका लगवाना चाहिए।
वैज्ञानिक क्रोनिक हेपेटाइटिस बी का सफल इलाज खोजने में लगे हैं। हालांकि, यदि आप योग और प्राणायाम करते हैं, फलों का सेवन करते हैं, वजन नियंत्रण में रखते हैं और गलत खानपान या नशा नहीं करते हैं तो आप संक्रमण के साथ बिना किसी परेशानी के रह सकते हैं। बस आपको ध्यान रखना चाहिए कि यह संक्रमण किसी दूसरे व्यक्ति में पारित न होने पाए।